कर्तव्य के पुजारी | सरदार पटेल की एक कहानी

sardar patel short story in hindi

अहमदाबाद में एक बड़े ही प्रसिद्ध वकील हुए है । आये दिन उनके पास नाना प्रकार के मुकदमे आया करते थे । एक दिन उनके पास एक हत्या का मुकदमा आया । जब उन्होंने अच्छे से जाँच पड़ताल की तो उन्होंने उनका मुवक्किल बेगुनाह पाया । इसलिए वह उसका मुकदमा लड़ने के लिए राज़ी हो गये ।

लेकिन दुर्भाग्य से उन्हीं दिनों उनकी पत्नी बीमार पड़ गई । अतः वकील साहब उसकी सेवा में लगे थे । संयोग से मुकदमे की तारीख भी उन्हीं दिनों पड़ी । अब वकील महोदय के लिए धर्म संकट की स्थिति आ खड़ी हुई । इधर धर्मपत्नी अपनी अंतिम सांसे गिन रही थी और उधर उनको पेशी के लिए शहर जाना था । अगर वह नहीं गये तो उनका मुवक्किल मुकदमा हार जायेगा और सीधे उसे फांसी की सजा होगी ।

वकील महाशय की पत्नी बड़ी ही समझदार और सहनशील थी । पति का असमंजस समझते हुए पत्नी ने कहा – “ आप पेशी पर जाइये और मेरी चिंता न कीजिये । जो होगा अच्छा ही होगा ।”

इच्छा न होते हुए भी वकील साहब को जाना पड़ा, क्योंकि मुवक्किल को छुड़ाने का वादा जो किया था । वकील साहेब सही समय पर अदालत में पहुंचे और मुकदमा पेश किया गया । विपक्ष के वकील ने अपनी दलीले पेश की और कहा – “ अपराधी ने हत्या जैसा घिनोना अपराध किया है और इसे कमसे कम फांसी की सजा तो होनी ही चाहिए ।”

बिच बचाव करते हुए ये वकील साहेब भी खड़े हुए । बहस चल ही रही थी कि अचानक उनका एक सहायक तार लेकर आया और उनको दे दिया । वकील महोदय ने तार खोला और पढ़ा और अपने कोट की जेब में रख दिया । फिर से शुरू हो गये बहस में । आखिरकार अंत में उन्होंने अपने मुवक्किल को निर्दोष साबित कर दिया और उसे रिहा करवा दिया । जज ने अपना फैसला सुनाया कि “संदिग्ध अपराधी निर्दोष है, अता उसे छोड़ दिया जाये ।”

मुकदमा समाप्त होने के बाद वकील मित्र और वह मुवक्किल, सभी वकील साहब के कमरे में बधाई देने पहुंचे तो वकील साहब एक कोने में उदास खड़े थे । मित्रों ने इस ख़ुशी के मोके पर उदासी का कारण पूछा तो वकील साहब ने वह तार दिखाया जो उनको अदालत में बहस के दौरान मिला था । मित्रो ने तार पढ़ा तो सबके चेहरे का रंग उड़ गया ।

तार में लिखा था – “ जितना जल्दी हो सके, आप घर आ जाइये, आपकी धर्म पत्नी का देहांत हो चूका है ।”

यह वकील साहब और कोई नहीं, आजाद भारत के प्रथम गृहमंत्री और उप प्रधानमंत्री, भारत का बिस्मार्क और लोह पुरुष की उपाधि से विभूषित, सररदार वल्लभभाई पटेल थे ।

शिक्षा – इस दृष्टान्त से हमें शिक्षा मिलती है कि मनुष्य को अपनी व्यक्तिगत मोह – ममता को त्यागकर अपने तात्कालिक कर्तव्यों का पालन करना चाहिए ।