माँ बनी बेटे की शत्रु कहानी | Child Caring Story

Maa Bani bete ki shatru hindi story

एक गाँव में एक विधवा माँ रहती थी । पति तो एक दुर्घटना में मारा गया किन्तु उसका एक बेटा था । अपने इकलौते बेटे को बुढ़ापे का सहारा जान, माँ को उससे बहुत अधिक स्नेह था । इतना स्नेह कि अक्सर वह उसकी बड़ी – बड़ी गलतियों को भी नजर अंदाज कर देती थी ।

एक दिन वह लड़का स्कूल गया तो वहाँ से अपने एक दोस्त के जूते चुरा लाया । जब दोस्त को यह बात पता चली तो उसने अपनी माँ को बताई । उसकी माँ अपने बेटे को लेकर चोरी करने वाले लड़के के घर पहुँच गई और जूते मांगने लगी ।

चोर बेटे की माँ, वह विधवा स्त्री जानती थी कि उसका बेटा वो जूते चोरी करके लाया है, लेकिन फिर अपने बेटे की तरफदारी करती हुई बोली – “ये जूते तो मैं कल ही बाजार से लायी हूँ । तुम्हारा लड़का झूठ बोलता है । बिचारी वह औरत लड़ने के झंझट से बचने के लिए लौट आई ।”

एक दुष्कर्म में माँ का साथ पाकर लड़का अब और भी ज्यादा निरंकुश हो गया । अब वह आये दिन कोई न कोई कांड करके आता । जब भी कोई पड़ोसी शिकायत करने आता तो कभी लड़कर तो कभी आंसू बहाकर उसकी माँ उसका बीच बचाव कर लेती थी । उसकी माँ की इसी लापरवाही की वजह से वह लड़का पढ़ना लिखना छोड़कर उस क्षेत्र का नंबर एक का चोर, डाकू और लुटेरा बन चूका था ।

अब तो उसने अपनी एक गेंग भी बना ली थी । यह तो सर्वविदित है कि “गलत तरीके से आया हुआ पैसा गलत कर्म ही करवाता है ।” फलतः देखते ही देखते उसे जुएँ, नशे और रंडीबाजी की लत लग गई । जवानी के जोश में वह एक वैश्या से प्रेम भी कर बैठा । लेकिन संयोग से एक दिन वह वैश्या अपने किसी दुसरे प्रेमी के साथ भाग गई । यह बात वह लड़का बर्दाश्त नहीं कर सका । उसने अपनी पूरी गेंग को उन दोनों को खोजने में लगा दिया । जैसे ही वह मिले, उसने उन दोनों को जान से मार डाला ।

आखिर उसने हत्या की थी । जल्द ही सिपाहियों ने उसे पकड़ लिया और खूब धुलाई करके अदालत में पेश किया । उसने अपने सारे गुनाह कबूल कर लिए, अतः उसे फांसी की सजा सुनाई गई ।

जज ने उससे उसकी अंतिम इच्छा पूछी तो वह बोला – “ मुझे अपनी माँ से मिलना है ।”

जब उसकी माँ जेल में उससे मिलने आई तो गले मिलने के बहाने उसने अपनी माँ की नाक काट ली और जोर – जोर से रोने लगा । सिपाहियों ने देखा तो तुरंत उसे अलग करते हुए पूछा – “ बेवकूफ ये क्या किया तूने ?”

तब वह बोला – “ यही है, मेरी इस हालत की जिम्मेदार । अगर इसने मेरी गलतियों को नजर अंदाज नहीं किया होता और मुझे पहली बार चोरी करते समय रोका होता और समझाया होता तो शायद आज मेरी यह हालत नहीं होती । इसका अँधा मोह ही मेरी मृत्यु का कारण बना । इसलिए मैंने इसकी नाक काट ली ताकि इसे देखकर दूसरी कोई माँ नाक कटने के डर से अपने बच्चो की गलतियों को नजर अंदाज न करें ।”

शिक्षा – बच्चों से स्नेह और प्रेम रखना जितना आवश्यक है, उतना ही उनकी गलतियों पर नजर रखना भी जरुरी है । प्रेम के मोह में पड़कर अपने बच्चों की गलतियों को नजर अंदाज करना, निहायती मूर्खतापूर्ण कृत्य है । क्योंकि यह कभी भी आपके और आपके बच्चों के लिए लाभप्रद नहीं हो सकता ।